Wednesday, February 8, 2012

खुल रही हैं खिड़कियां


कह रहा है आसमां 
और ये सारा जहां 
तोड़ दे सब बंधनो को 
दूर है मंज़िल कहां 

उठ जाग जा के देख ले 
हो गया सवेरा नया 
आ सूर्य से नजरें मिला ले 
खुल रही हैं खिड़कियां, खुल रही हैं खिड़कियां |

सब तेरे ही हैं |

सब तेरे ही हैं |


मेरे दिल की तेज धड़कनें
जूतों की तरफ़ गड़ी हुइ मेरी नजरें
कि तुम मेरी दबी हुइ मुस्कान ना देख लो
पर तुम नाराज ना होना, क्योंकि ये

सब तेरे ही हैं |

मेरी आंखें खिसियाई सी
मेरे कान खुशी से पुलकित
तुम्हारी आवाज जो सुनी उन्होने
पर तुम नाराज ना होना, क्योंकि ये

सब तेरे ही हैं |

कुछ कहने को बेताब मेरे होंठ
जींस की जेब मे भींचे हुए मेरे हाथ
असफ़ल हैं इस कोशिश में
कि जमीन को छूते हुए तुम्हारे
फ़ूलों वाले दुपट्टे को उठा सकें
पर तुम नाराज ना होना, क्योंकि ये

सब तेरे ही हैं |